वो बोल नहीं सकते लेकिन कुदरत ने हमें ही क्यों और ज | हिंदी विचार

"वो बोल नहीं सकते लेकिन कुदरत ने हमें ही क्यों और जानवरों से भिन्न बनाया वरना सभी पीठ के बल ही सोते सूर्य ही इतना विशाल की कई पृथ्वी उसमें समा सकती हम सभी उस पृथ्वी पे रहते जानवर पृथ्वी को बचाने के लिये नहीं अपितु लड़ रहे कुदरत के नाम पर जैसे उसका वजूद खतरे में हो वायु टकराती वस्तु से तब ही आवाज होती कुदरत को पाने के लिये खुद को वस्तु बनाना ©Mahadev Son"

 वो बोल नहीं सकते लेकिन कुदरत ने हमें ही क्यों और जानवरों से
भिन्न बनाया वरना सभी पीठ के बल ही सोते

सूर्य ही इतना विशाल की कई पृथ्वी उसमें
समा सकती हम सभी उस पृथ्वी पे रहते 

जानवर पृथ्वी को बचाने के लिये नहीं
अपितु लड़ रहे कुदरत के नाम पर
जैसे उसका वजूद खतरे में हो 

वायु टकराती वस्तु से तब ही आवाज होती 
कुदरत को पाने के लिये खुद को वस्तु बनाना

©Mahadev Son

वो बोल नहीं सकते लेकिन कुदरत ने हमें ही क्यों और जानवरों से भिन्न बनाया वरना सभी पीठ के बल ही सोते सूर्य ही इतना विशाल की कई पृथ्वी उसमें समा सकती हम सभी उस पृथ्वी पे रहते जानवर पृथ्वी को बचाने के लिये नहीं अपितु लड़ रहे कुदरत के नाम पर जैसे उसका वजूद खतरे में हो वायु टकराती वस्तु से तब ही आवाज होती कुदरत को पाने के लिये खुद को वस्तु बनाना ©Mahadev Son

जानवरों से हम भिन्न कैसे

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