सफरनामा मुसाफिर हूं ऐ ज़िंदगी जिस कश्ति में आया ह | हिंदी शायरी
"सफरनामा
मुसाफिर हूं ऐ ज़िंदगी
जिस कश्ति में आया हूँ
वापस,उसी में जाना है
मुखातिब होंगे कइ इस सफर में
बंजारा हूँ,एक दिन छोङ जाना है
मकसद होंगे कइ ज़िंदगी के
पर मंजिल से बेहतर
मंजिल का सफरनामा है"
सफरनामा
मुसाफिर हूं ऐ ज़िंदगी
जिस कश्ति में आया हूँ
वापस,उसी में जाना है
मुखातिब होंगे कइ इस सफर में
बंजारा हूँ,एक दिन छोङ जाना है
मकसद होंगे कइ ज़िंदगी के
पर मंजिल से बेहतर
मंजिल का सफरनामा है