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शरबत-ए-ज़िंदगी में रंगत नाचीज़ है मिठास से क‌इ ज़्यादा ये ठंडक लज़ीज़ है -विश्व रंजन

#शायरी #शरबत  शरबत-ए-ज़िंदगी में रंगत नाचीज़ है
मिठास से क‌इ ज़्यादा ये ठंडक लज़ीज़ है








                                                   -विश्व रंजन

सफरनामा मुसाफिर हूं ऐ ज़िंदगी जिस कश्ति में आया हूँ वापस,उसी में जाना है मुखातिब होंगे क‌इ इस सफर में बंजारा हूँ,एक दिन छोङ जाना है मकसद होंगे क‌इ ज़िंदगी के पर मंजिल से बेहतर मंजिल का सफरनामा है

#सफरनामा #शायरी  सफरनामा

मुसाफिर हूं ऐ ज़िंदगी
जिस कश्ति में आया हूँ
वापस,उसी में जाना है
मुखातिब होंगे क‌इ इस सफर में

बंजारा हूँ,एक दिन छोङ जाना है
मकसद होंगे क‌इ ज़िंदगी के
पर मंजिल से बेहतर
मंजिल का सफरनामा है

वक्त-वक्त का खेल है,ऐ झमन👁️ कभी हम भी नज़रें खींच लाते थे ~विश्व रंजन

#time_plays_with_us #शायरी  वक्त-वक्त का खेल है,ऐ झमन👁️
कभी हम भी नज़रें खींच लाते थे



~विश्व रंजन

ज़िंदगी में इतने ठोकर खाए हैं,क्या बताएं नज़रें ज़मीन पर रखना सीख ग‌ए हैं हम ~विश्व रंजन

#शायरी  ज़िंदगी में इतने ठोकर खाए हैं,क्या बताएं
नज़रें ज़मीन पर रखना सीख ग‌ए हैं हम







~विश्व रंजन

ज़िंदगी में इतने ठोकर खाए हैं,क्या बताएं नज़रें ज़मीन पर रखना सीख ग‌ए हैं हम ~विश्व रंजन

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घर बेङियों सा प्रतीत होता घर😳 तो चिंतन तुम एक बार करो सरहद पर बैठे फौजी के उन आंखों की चित्कार सुनो प्यासी है,बस आँखें जिनकी घर-परिवार के दीदार को पिता की छाया, बहन के झगङे माँ के आँचल के प्यार को भाग्यवान हो,घर पर हो परिवार एक छत आई है वरना तर्पन को,माँ के चरणों में फौजी ने,सीने गोली खाई है -विश्व रंजन

#घर_पर_रहो #कविता  घर

बेङियों सा प्रतीत होता घर😳
तो चिंतन तुम एक बार करो
सरहद पर बैठे फौजी के
उन आंखों की चित्कार सुनो

प्यासी है,बस आँखें जिनकी
घर-परिवार के दीदार को
पिता की छाया, बहन के झगङे
माँ के आँचल के प्यार को

भाग्यवान हो,घर पर हो
परिवार एक छत आई है
वरना तर्पन को,माँ के चरणों में
फौजी ने,सीने गोली खाई है




-विश्व रंजन

इंसानियत बेबस प्यासा-मन परिंदा उङेगा इंसानियत को प्यासा,इंसान शर्मिंदा रहेगा खुद्दार संसार में,कंठ की तराहट को ये जहाँ बैठे- बैठे,बस निंदा करेगा मेरा गला यूँ न घोंटो,दम घुटता है हो बूंद- बूंद,प्यासा मन बुझता है जब तक,हर किरण मन रौशन करेगा तब तक ज़िन्दगी बचाने,इंसानियत ज़िंदा रहेगा @vishwa4832

#Insaniyat  इंसानियत

बेबस प्यासा-मन परिंदा उङेगा
इंसानियत को प्यासा,इंसान शर्मिंदा रहेगा
खुद्दार संसार में,कंठ की तराहट को
ये जहाँ बैठे- बैठे,बस निंदा करेगा

मेरा गला यूँ न घोंटो,दम घुटता है
हो बूंद- बूंद,प्यासा मन बुझता है
जब तक,हर किरण मन रौशन करेगा
तब तक ज़िन्दगी बचाने,इंसानियत ज़िंदा रहेगा
@vishwa4832

#Insaniyat

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