ऐहसान मन्द हूँ उस रात की दरियदिली का,
जो तुमने अपने प्यार से सरोबार किया मुझे ।
याद रहेंगी उम्रभर वो तेरी मीठी आहें,
मोहताज़ हूँ उस दरियादिली का बार बार।
नशे में ही सही या गफ़लत में,
ऐसा नशा, ऐसी गफ़लत तू बार बार कर।
नहला दे फिर अपने प्यार से,
अब दोबारा यूँ तंगदिली न दिखा, ऐ सनम।
ऐहसान मन्द हूँ उस रात की दरियदिली का,
जो तुमने अपने प्यार से सरोबार किया मुझे ।
याद रहेंगी उम्रभर वो तेरी मीठी आहें,
मोहताज़ हूँ उस दरियादिली का बार बार।
नशे में ही सही या गफ़लत में,
ऐसा नशा, ऐसी गफ़लत तू बार बार कर।
नहला दे फिर अपने प्यार से,
अब दोबारा यूँ तंगदिली न दिखा, ऐ सनम।
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