"अब बस करो यह कत्लेआम , दिल के जज्बातों को जीने दो
हां अब बस कर दो...
बनकर एक दूजे की लाठी बस , आनंद की गंगा बहने दो.....
हा अब बस कर दो ये ये गलफामिया फैलाना
नफ़रत की आंधी से निकल बाहर , प्रेम के एहसासों को पलने दो.....
जियो और जीने दो के भाव को हर घर , आंगन और देश में पलने दो...
सोच बदलो और अब बस करो..
"