sangya arora

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कुछ गहरा रहा था!तुम्हारे अौर मेरे भीतर ,पनपने लगा था एक रिश्ता! किसी अंकुर से फूटे पौधे की तरह! हर तरफ फैल ने लगी थी, हमारे रिश्ते की हरियाली! मुझे लगता है, एक बागवा बनने लगा है, तुम्हारे और मेरे बीच! आओ मिल कर इसे सीचते है! या मिल कर इसे उजाड़ देते हैं, लेकिन इन दोनों ही रास्तों के लिए हमारा मिलना जरूरी है! ©sangya arora

#कविता #soulmate  कुछ गहरा रहा था!तुम्हारे अौर मेरे भीतर ,पनपने लगा था एक  रिश्ता! किसी अंकुर से फूटे पौधे की तरह! हर तरफ फैल ने  लगी थी, हमारे रिश्ते की हरियाली! मुझे लगता है, एक बागवा बनने लगा है, तुम्हारे और मेरे बीच! आओ मिल कर इसे सीचते है! या मिल कर इसे उजाड़ देते हैं, लेकिन इन दोनों ही रास्तों के लिए हमारा मिलना जरूरी है!

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#soulmate

32 Love

अब तुम हमें अनजान लगते हो |जाने किस की जान लगते हो |एक अरसा हुआ,तुम्हें देखें हुए | अब तो तुम एक ख्याल लगते हो | ©sangya arora

#कविता  अब तुम हमें अनजान लगते हो |जाने किस की जान लगते हो |एक अरसा हुआ,तुम्हें देखें हुए |
अब तो तुम एक ख्याल लगते हो |

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अब तुम हमें अनजान लगते हो |जाने किस की जान लगते हो |एक अरसा हुआ,तुम्हें देखें हुए | अब तो तुम एक ख्याल लगते हो | ©sangya arora

52 Love

मुझ तक पहुँच जाती हैं, आज भी तुम्हारी दिव्य रोशनी ,ममता की वो बौछार भीगाती है मुझे बार बार| ©sangya arora

 मुझ तक पहुँच जाती हैं, आज भी तुम्हारी दिव्य रोशनी ,ममता की वो बौछार भीगाती है मुझे बार बार|

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मुझ तक पहुँच जाती हैं, आज भी तुम्हारी दिव्य रोशनी ,ममता की वो बौछार भीगाती है मुझे बार बार| ©sangya arora

107 Love

चाय और तुम दोनों ही बहाने थे कुछ देर आराम करने के, कुछ देर खुश रहने के, कुछ बोले बिना तुम्हें सब समझा ने के | जब से तुम गई हो माँ मैंने चाय को भी अलविदा कह दिया है ©sangya arora

#Morning  चाय और तुम दोनों ही बहाने थे कुछ देर आराम करने के, कुछ देर खुश रहने के, कुछ बोले बिना तुम्हें सब समझा ने के |
जब से तुम गई हो माँ मैंने चाय को भी अलविदा कह दिया है

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#Morning

100 Love

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110 Love

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