बसती थी खुशियों जिन घरों मे कभी वह मकान बह गया। घ | हिंदी विचार

"बसती थी खुशियों जिन घरों मे कभी वह मकान बह गया। घरों में सजा बेशकीमती समान बह गया। बह गई आशाएं, उम्मीदें भी बह गई सूनी आंखों में बस बहता आंसू रह गया। ©Archana sharma"

 बसती थी खुशियों
जिन घरों मे कभी
वह मकान बह गया।
 घरों में सजा
 बेशकीमती समान
  बह गया।
  बह गई आशाएं,
   उम्मीदें भी बह गई
   सूनी आंखों में बस
    बहता आंसू रह गया।

©Archana sharma

बसती थी खुशियों जिन घरों मे कभी वह मकान बह गया। घरों में सजा बेशकीमती समान बह गया। बह गई आशाएं, उम्मीदें भी बह गई सूनी आंखों में बस बहता आंसू रह गया। ©Archana sharma

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