White कैसे नजरे चार करू उस रूप मनोहर की रानी से रू | हिंदी कविता

"White कैसे नजरे चार करू उस रूप मनोहर की रानी से रूप में पहरा बालो का कुछ सुंदर जड़ी रूमालो का कुछ पहरा मेरी नजरो में भी उन नजरो का जो पहले से रत है निखरा खोज रहे मुझमें जो पहले से ही निरखत हैं कुछ लाज है मेरी आंखों में की कही लजा ना वो जाए देख ये चेहरा राहू सा कहीं चंद्रग्रहण न लग जाए यह सोच वृषभ के पीछे से मैं कन्या राशि निहारुगा बस एक झलक तो मिल जाए सपनो में ही बस पा लूंगा ©दीपेश"

 White कैसे नजरे चार करू
उस रूप मनोहर की रानी से
रूप में पहरा बालो का
कुछ सुंदर जड़ी रूमालो का
कुछ पहरा मेरी नजरो में भी
उन नजरो का जो पहले से रत है
निखरा खोज रहे मुझमें
जो पहले से ही निरखत हैं
कुछ लाज है मेरी आंखों में
की कही लजा ना वो जाए
देख ये चेहरा राहू सा
कहीं चंद्रग्रहण न लग जाए
यह सोच वृषभ के पीछे से
मैं कन्या राशि निहारुगा
बस एक झलक तो मिल जाए
सपनो में ही बस पा लूंगा

©दीपेश

White कैसे नजरे चार करू उस रूप मनोहर की रानी से रूप में पहरा बालो का कुछ सुंदर जड़ी रूमालो का कुछ पहरा मेरी नजरो में भी उन नजरो का जो पहले से रत है निखरा खोज रहे मुझमें जो पहले से ही निरखत हैं कुछ लाज है मेरी आंखों में की कही लजा ना वो जाए देख ये चेहरा राहू सा कहीं चंद्रग्रहण न लग जाए यह सोच वृषभ के पीछे से मैं कन्या राशि निहारुगा बस एक झलक तो मिल जाए सपनो में ही बस पा लूंगा ©दीपेश

#सुंदरी

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