दीपेश

दीपेश Lives in Rewa, Madhya Pradesh, India

अंतर्मन मन को लिख दो ये एक महाकाव्य बन जाता है। मन का मंत्र मानो में धंसकर मनोरोग से छाता है और महामंत्र बन जाता है।

  • Latest
  • Popular
  • Video

White कैसे नजरे चार करू उस रूप मनोहर की रानी से रूप में पहरा बालो का कुछ सुंदर जड़ी रूमालो का कुछ पहरा मेरी नजरो में भी उन नजरो का जो पहले से रत है निखरा खोज रहे मुझमें जो पहले से ही निरखत हैं कुछ लाज है मेरी आंखों में की कही लजा ना वो जाए देख ये चेहरा राहू सा कहीं चंद्रग्रहण न लग जाए यह सोच वृषभ के पीछे से मैं कन्या राशि निहारुगा बस एक झलक तो मिल जाए सपनो में ही बस पा लूंगा ©दीपेश

#सुंदरी #कविता  White कैसे नजरे चार करू
उस रूप मनोहर की रानी से
रूप में पहरा बालो का
कुछ सुंदर जड़ी रूमालो का
कुछ पहरा मेरी नजरो में भी
उन नजरो का जो पहले से रत है
निखरा खोज रहे मुझमें
जो पहले से ही निरखत हैं
कुछ लाज है मेरी आंखों में
की कही लजा ना वो जाए
देख ये चेहरा राहू सा
कहीं चंद्रग्रहण न लग जाए
यह सोच वृषभ के पीछे से
मैं कन्या राशि निहारुगा
बस एक झलक तो मिल जाए
सपनो में ही बस पा लूंगा

©दीपेश
#फ़िल्म #RadheGovinda

#RadheGovinda

162 View

White मेरे तन मन हाव भाव गुस्सा जोश खुशी गर्व शर्मिंदी कौन कहे भावों की भाषा नही विचारो की होती मेरी तो हर स्वप्न साधना अंतर्द्वंद्व की भाषा हिंदी ©दीपेश

#कविता #hindi_diwas  White मेरे तन मन हाव भाव
गुस्सा जोश खुशी गर्व शर्मिंदी
कौन कहे भावों की भाषा
नही विचारो की होती
मेरी तो हर स्वप्न साधना
अंतर्द्वंद्व की भाषा हिंदी

©दीपेश

#hindi_diwas

11 Love

#कविता #love_shayari #vilagedays  White हरियाली तस्वीरों में है
भाग जहां से आए थे
कांक्रीट के स्वप्न सजाकर
कीचड़ से घबराए थे
अब यादों में बसा हुआ है
गांव का फूला गुलदस्ता
कभी जुट का झोला लेकर
लेकर कभी फूल का बुक्का
हैं मन को बहलाती दुनिया
घूम रही हो हक्का बक्का

©दीपेश
#happy_independence_day #कविता #FreedomFighter  White आजादी की शुद्ध हवा में
घूम रहे स्वच्छंद सभी
कौन हवा का शोधक है
सोचा क्या है किसी ने कभी
इंफिल्ट्रेशन रोके जो जवां खड़ा है
सारी उल्का से वही लड़ा है
लड्डू पेड़े वाले दिन
हथगोलो से लड़ा पड़ा है
अब सोचो क्या सही ताड़ना
आजादी के सेनानी ने
उसने जवानी खाद बना दी
आजाद हिंद बागवानी में

©दीपेश
#happyindependenceday #कविता #ilovemyindia #shahadat #15august  White बड़ी मंहगी है आजादी
पड़ोसी अब भी जलते है
हिफाजत में वतन की वीर
शहादत अब भी चुनते हैं
तभी बेफिक्र होकर हम
यहां गलियों में चलते हैं
बुलंदी पर तिरंगा है
बुलंदी से वो जलते है
अभी कुछ और हो अच्छा 
यही हम सोच चलते हैं
तिरंगा और लहराए
जतन कुछ और करते है

©दीपेश
Trending Topic