जब जन्म लिया था भगत सिंह ने,
गोरो को खौफ अदा हुआ।
शेर के जैसा अडीक वह,
प्रेम जिसे आजादी से हुआ।।
बचपन मे किए कर्म कांड ऐसे
बंदूके बोयी खेतो मे जैसे थे,
जब यौवन से परिपूर्ण हुए,
जब गोरो को भय अदा किया वैसे।।
आजादी दुल्हन जिनकी,
भय गुलामी का कैसा उन्हें।
खुले आम जीना सीखा था,
स्वतंत्रता लोगो को सीखना था।।
आज अवतरण दिवस हे उनका,
जिसका दीवाना सारा जहा हे,
गोरे भी काँपे थे उनसे,
जब शेर की तरह दहाड़े थे।।
©भरत सिंह जोधाणा
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