इसी दिन इसी तारिख इसी जगह पर मिले थे भूल गए या याद | हिंदी शायरी

"इसी दिन इसी तारिख इसी जगह पर मिले थे भूल गए या याद है चलो याद दिलादू तुम्हे कितने सपने देखें थे हमने संग जीने के भूल गए या याद है चलो गिनादु तुम्हे बुलाने पर ही छोड़ देता था दोस्तों की महफ़िल तुम तो कभी मिले नहीं चलो मिला दू तुम्हे तुम अपना फैसला सुना कर छोड़ गए थे आज मैं अपना फैसला सुना कर रुलादू तुम्हे बहुत लगाए चकर तेरे घर गली की ओर शायद भूले से ही सही दिख जाओ हमे ठहराव पसंद नहीं इसलिए आगे बढ़ गए रूबरू अपने दिलबर से चलो करादू तुम्हे ©Mohan Bamniya"

 इसी दिन इसी तारिख इसी जगह पर मिले थे
भूल गए या याद है चलो याद दिलादू तुम्हे
कितने सपने देखें थे हमने संग जीने के
भूल गए या याद है चलो गिनादु तुम्हे
बुलाने पर ही छोड़ देता था दोस्तों की महफ़िल
तुम तो कभी मिले नहीं चलो मिला दू तुम्हे
तुम अपना फैसला सुना कर छोड़ गए थे
आज मैं अपना फैसला सुना कर रुलादू तुम्हे
बहुत लगाए चकर तेरे घर गली की ओर
शायद भूले से ही सही दिख जाओ हमे
ठहराव पसंद नहीं इसलिए आगे बढ़ गए
रूबरू अपने दिलबर से चलो करादू तुम्हे

©Mohan Bamniya

इसी दिन इसी तारिख इसी जगह पर मिले थे भूल गए या याद है चलो याद दिलादू तुम्हे कितने सपने देखें थे हमने संग जीने के भूल गए या याद है चलो गिनादु तुम्हे बुलाने पर ही छोड़ देता था दोस्तों की महफ़िल तुम तो कभी मिले नहीं चलो मिला दू तुम्हे तुम अपना फैसला सुना कर छोड़ गए थे आज मैं अपना फैसला सुना कर रुलादू तुम्हे बहुत लगाए चकर तेरे घर गली की ओर शायद भूले से ही सही दिख जाओ हमे ठहराव पसंद नहीं इसलिए आगे बढ़ गए रूबरू अपने दिलबर से चलो करादू तुम्हे ©Mohan Bamniya

याद दिला दू तुम्हे

#together

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