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Mohan Bamniya
https://hindi.sahityapedia.com/user/mohan1991
इसी दिन इसी तारिख इसी जगह पर मिले थे भूल गए या याद है चलो याद दिलादू तुम्हे कितने सपने देखें थे हमने संग जीने के भूल गए या याद है चलो गिनादु तुम्हे बुलाने पर ही छोड़ देता था दोस्तों की महफ़िल तुम तो कभी मिले नहीं चलो मिला दू तुम्हे तुम अपना फैसला सुना कर छोड़ गए थे आज मैं अपना फैसला सुना कर रुलादू तुम्हे बहुत लगाए चकर तेरे घर गली की ओर शायद भूले से ही सही दिख जाओ हमे ठहराव पसंद नहीं इसलिए आगे बढ़ गए रूबरू अपने दिलबर से चलो करादू तुम्हे ©Mohan Bamniya
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दुखड़ा सुनाने निकले थे हम भी पर हमारी हुई ना कहीं सुनाई सब के गम बांट लिए हमने पर हमारी बारी कभी ना आईं ©Mohan Bamniya
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