तुम हकीकत ना सही मगर मेरे दिल की हसरत हो, जो मिली थी ख्वाब में वो दौलत हो, तुम हो बागबां की वो खुशबू जो साँसों से रूह में उतरती हो
तुम हो साथ मेरे मग़र फ़िर भी करार नहीं, मानो ऐसा हो जैसे रूह तो है मग़र जान नहीं
कैसे छोड़ दूँ तुम्हें जा_ना__ तुम मेरी ज़िंदगी की आदत हो, अब तो दासता-ए-ज़िंदगी खत्म होने को है तुम मेरी आखिरी मोहब्बत हो
©Soni
#आखिरी_मोहब्बत
#कुछ_अनकहे_अल्फ़ाज़
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