कबिरा ये जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ। कालि जो बै | हिंदी कविता

"कबिरा ये जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ। कालि जो बैठा मांडपै, आज मसाने दीठ।। ©Jitendra Singh"

 कबिरा ये जग कुछ नहीं,
खिन खारा खिन मीठ।
कालि जो बैठा मांडपै,
आज मसाने दीठ।।

©Jitendra Singh

कबिरा ये जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ। कालि जो बैठा मांडपै, आज मसाने दीठ।। ©Jitendra Singh

#Kabir#Kabira

People who shared love close

More like this

Trending Topic