किताबों में, मोहब्बत को, भले सौ बार तुम पढ़ लो, म | हिंदी Poetry

"किताबों में, मोहब्बत को, भले सौ बार तुम पढ़ लो, मोहब्बत कागज़ी लगती, मूल रिश्तें हैं कागज के | न करुणा है, न खुशबू है, न उनमें इश्क़ पागलपन, चमकते हैं दमकते हैं, फूल खिलते हैं कागज़ के । ©Senty - Poet"

 किताबों में, मोहब्बत को, 
भले सौ बार तुम पढ़ लो,
मोहब्बत कागज़ी लगती,
मूल रिश्तें हैं कागज के |

न करुणा है, न खुशबू है,
न उनमें इश्क़ पागलपन,
चमकते हैं दमकते हैं,
फूल खिलते हैं कागज़ के ।

©Senty - Poet

किताबों में, मोहब्बत को, भले सौ बार तुम पढ़ लो, मोहब्बत कागज़ी लगती, मूल रिश्तें हैं कागज के | न करुणा है, न खुशबू है, न उनमें इश्क़ पागलपन, चमकते हैं दमकते हैं, फूल खिलते हैं कागज़ के । ©Senty - Poet

#kitaab #इश्क #यार #लव

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