कहने के लिए ख़ुद को मेरा कहते हो।
जानती हूँ कितनी लड़कीओं में रहते हो।
कहीं न कहीं आ टकराती है सब मुझसे,
तुम जिन जिन की आँखों में बहते हो।
मुझे बेवफ़ा ओ बदउनवान कहने वाले,
मैं क्या झेल रही हूँ जो तुम सब सहते हो।
मेरी जानिब से चाहते हो तमाम उम्र मेरी,
ख़ुद आए रोज़ किसी आँचल में ढहते हो।
©Ritu Nisha
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