पत्ते टूटते हैं टहनियों तक हाथ नहीं पहुंचता जड़ों | हिंदी शायरी

"पत्ते टूटते हैं टहनियों तक हाथ नहीं पहुंचता जड़ों तक कोई यहां आसमान नहीं पहुंचता बड़े मुजरिमों का राम यहां जिक्र है गुनाह किसी मुंसिफ का यहां कभी कमान नही पहुंचता"

 पत्ते टूटते हैं टहनियों तक हाथ नहीं पहुंचता
जड़ों तक कोई  यहां आसमान नहीं पहुंचता
बड़े मुजरिमों का राम यहां जिक्र है गुनाह
किसी मुंसिफ का यहां कभी कमान नही पहुंचता

पत्ते टूटते हैं टहनियों तक हाथ नहीं पहुंचता जड़ों तक कोई यहां आसमान नहीं पहुंचता बड़े मुजरिमों का राम यहां जिक्र है गुनाह किसी मुंसिफ का यहां कभी कमान नही पहुंचता

#Blacktree

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