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*_🤍This quote has been written by me in the memory of Banaras🤍._*
*_माहियां पल है ये ऐसा😓_*
*_कहा लफ़्ज़ों से जाये ना🤫_*
*_है दिल मे क्या छुपा मेरे 😌_*
*_करूं कैसे तूझे मैं बयान🤍🫠_*
*_✍️✍️Ayush.._*
*_Mishra..✍️✍️_*
*_【तो कैसे तूझसे कह दूं मैं अब ये ❣️❣️।की होना पड़ेगा अब जुदा हमें❣️❣️।_*
*_【माना कि होंगे फांसलें दरमियां❣️❣️।मगर होंगी अब दूरियों से सदा❣️❣️।】_*
*_ ✍️Ayush..Mishra..✍️_*
*_फांसलें कुछ इस कदर दरमियां हो गए💘की वक़्त की एक छोटी सी चोट खाकर भी🤍 हम जुदा हो गए🙅🙅अगर मिलना हुआ तो मिलूंगा फिर कभी यादों में तुम्हें💓तो क्या हुआ अगर फांसलें दरमियान हो गए❣️❣️_*
*_गर तुम करोगे कोशिस कभी कुछ कहने की मूझे.. तो बैठकर के मैं फिर गुमसुम सा🛐 तुम्हारी सारी खामोशियों को फिर से सूनूँगा कभी❤🔥_*
🖤 *_तेरी इस खाम़ोशी से🖤 मेरी धड़कनों में उठ रहा ये शोर❤🔥 मूझे हर पल और भी ज्यादा बेचैन किये जा रहा है..हूंगा जुदा जुड़कर भी यूं तुमसे❤🔥न जाने क्यों ये दर्द अब मेरे अल्फ़ाज़ बना जा रहा है❤🔥❤🔥_*
*_मग़र मुद्दत से ऐसे वक्त का आना भी तो निजामत थी💝साथ खड़ी थी मेरे जिन्दगी♥️और अब दौड़ मूझे मौत के साथ लगानी थी💠🌐_*
*_इस दिन के मौसम के रुख के सूर में घुली कुछ ऐसी बेगानी थी❤🩹 काली घटा से घिरी सी..आज की ये सुबहा ♥️अमावस की घनी काली रात से भी काली थी🖤_*
*_पहले तो लगा काले काले बादलों में छुपा कर 🖤शायद खुदा ने मेरे लिए भेजा कोई सन्देशा था🖤_*
*_और कभी अगले ही पल को लगा कि🤍 ये अंधेरा समेट लेगा अब मुझको खुद में कहीं🖤 तो कभी लगा कि💛 काशी के सारे गमों की आज मुझ पर ही बरसात होने वाली है🖤🖤_*
*_अँधेरा होगा घना आज की रात भी पर ये सोचा कहां कि🖤 अब मेरी जिन्दगी में बस रात ही रात होगी❣️❣️महफ़ूज रख लूं मैं आंखों में मेरी तेरा घुन उजाला🖤🖤ना जाने फ़िर कब अब मुलाकात होगी💘💘 _*
*_कहाँ पता था मूझे की इस गम में हमारे सरीख ये सारी कायनात होगी🖤आँखों में डुबाये हुए समंदर से काशी के हर सुंखे पत्तों पर बरसात होगी💙_*
*_🖤 चाहता था मैं खुद को कुछ पल बाहों में तेरी महफ़ूज रखना🖤लम्हे दो लम्हे फिर तेरे इस रिमझिम सफ़र पर तेरे साथ चलना🖤🖤_*
*_मग़र करीब आ चुकीं जुदाई की ये घड़ियां🖤🖤अब कुछ बिना कहें भी समझाना चाहती थी🖤🖤शायद वो मेरी शांसों को🖤मेरी धड़कनो से दूर ले जाना चाहतीं थीं🖤मूझे हर पल कमजोर किये जा रही थी..रूह से मेरे मेरी जान को कहीं दूर लिए जा रहीं थी,,कसूर ना था उन घडियों का भी शायद🖤🖤 शायद कुदरत ने भी हक में हमारे लिख रखी जुदाई थी🖤🖤वरना कब इस दिल ने कोई अनसुलझी सी रीत निभाई थी🖤🖤पर अबकी बार कुदरत ने कलम सांसो पर चलाई थी🖤🖤_*
*_कुछ इस कदर🖤यादों से तेरी होकर मलंग🖤दूर हो रहा था मैं तूझसे🖤सहकर मेरे सारे गम🖤_*
*_मगर मैंने अपनी आँखों मे तूझको यूं महफ़ूज रखा था💓💓तेरी तस्वीर के उजाले से🖤अपनी तकदीर के इस काले अन्धेरे को🖤तेरे रोशन दिए से कहीं दूर रखा था💓💓_*
©Ayush Mishra
#Poetry