घर के मलबों पर मुस्काने आती है
दुनिया मेरे घाव जलाने आती है
हमदर्दी में पीठ फेरती यारी मेरी
कंधों में नाख़ून गड़ाने आती है
मै ज़िंदा था,रोती-रोती लौट गई जो
मातमपुर्सी के रोज़ बहाने आती है
हल्का हो उसकी छाती पर तैरूँगा
शिद्दत से जो लहर डुबाने आती है
घर के मलबों पर मुस्काने आती है
दुनिया मेरे घाव जलाने आती है
हमदर्दी में पीठ फेरती यारी मेरी
कंधों में नाख़ून गड़ाने आती है
मै ज़िंदा था,रोती-रोती लौट गई जो
मातमपुर्सी के रोज़ बहाने आती है