दिल तेरा ही तलबगार है,क्या करें
मुझे बस तुमसे ही प्यार है, क्या करें
हर सु मुझे बस तुम दिखाई देते हो
चढ़ा जैसे कोई खुमार है, क्या करें
नागवार है मुझे देखना कोई ओर चेहरा
हर शय में होता तेरा ही दीदार है ,क्या करें
नाकामयाब हुई मेरी तमाम कोशिशें
दिल को बस तुझपे एतबार है,क्या करें
मेरी आजकल सुनता कहाँ है दिल
इस पे अब तेरा इख्तियार है, क्या करें
कल देखा आशिकों की फेहरिस्त में
नाम मेरा भी शुमार है, क्या करें
मैं भूल जाता हूँ अपने घर का पता
शायद यही तो प्यार है, क्या करें
आंख खुल जाती है अचानक से
ना नींद है ना करार है, क्या करें
बेचैनी में भी अजीब सा सुकून है
ग़जब इश्क की ये सरकार है, क्या करें
डॉ विनोद कुमार शकुचन्द्र
©Anjali
#Dil
#selfhate