ना ही तेरा आदी है ना ही तेरा अंत है तेरे इस स्वरूप | हिंदी कविता

"ना ही तेरा आदी है ना ही तेरा अंत है तेरे इस स्वरूप की कल्पना अनंत है क्या मेरा और क्या पराया तो पाया मैंने कि सब तेरा ही तो अंश है जीवन से मोहमाया करना ही व्यर्थ है तुझमें है बस इस जीवन की उमंग है नहीं चाहिए कोई साथ अब ,मिल जाए मुझे सारी मंजिले वो तेरा ही तो संग है ©kartavay"

 ना ही तेरा आदी है ना ही तेरा अंत है
तेरे इस स्वरूप की कल्पना अनंत है

क्या मेरा और क्या पराया तो पाया 
मैंने कि सब तेरा ही तो अंश है

जीवन से मोहमाया करना ही व्यर्थ है
तुझमें है बस इस जीवन की उमंग है

नहीं चाहिए कोई साथ अब ,मिल जाए 
मुझे सारी मंजिले वो तेरा ही तो संग है

©kartavay

ना ही तेरा आदी है ना ही तेरा अंत है तेरे इस स्वरूप की कल्पना अनंत है क्या मेरा और क्या पराया तो पाया मैंने कि सब तेरा ही तो अंश है जीवन से मोहमाया करना ही व्यर्थ है तुझमें है बस इस जीवन की उमंग है नहीं चाहिए कोई साथ अब ,मिल जाए मुझे सारी मंजिले वो तेरा ही तो संग है ©kartavay

#Shiva

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