लफ़्जों को पता नहीं होता कहना क्या है, और आँखें व | हिंदी कविता

"लफ़्जों को पता नहीं होता कहना क्या है, और आँखें वो सब बयाँ कर देती हैं। ज़रुरत यहाँ शब्दों की नहीं, अहसास की है, दास्ताँ ही कुछ ऐसी हमारे प्यार की है। हल्की सी मुस्कान उसकी, मुझे पागल कर देती है, बिना जख़्म दिए, इस दिल को घायल कर देती है। ख़ूबी ही कुछ ऐसी है उसकी, बिना बोले सब कह देती है, दास्ताँ ही कुछ ऐसी हमारे प्यार की है। बातें हम उतना नहीं करते, जितना महसूस कर लेते हैं, इश्क़-ए-अहसास को हम जी भर जी लेते हैं। ये बात हमारी नहीं, हमारे अहसास की है, दास्ताँ ही कुछ ऐसी हमारे प्यार की है। Mahaveer kumar"

 लफ़्जों को पता नहीं होता कहना क्या है,
 और आँखें वो सब बयाँ कर देती हैं। 
ज़रुरत यहाँ शब्दों की नहीं, अहसास की है, 
दास्ताँ ही कुछ ऐसी हमारे प्यार की है। 

हल्की सी मुस्कान उसकी, मुझे पागल कर देती है, 
बिना जख़्म दिए, इस दिल को घायल कर देती है। 
ख़ूबी ही कुछ ऐसी है उसकी, बिना बोले सब कह देती है, 
दास्ताँ ही कुछ ऐसी हमारे प्यार की है। 

बातें हम उतना नहीं करते, जितना महसूस कर लेते हैं, 
इश्क़-ए-अहसास को हम जी भर जी लेते हैं। 
ये बात हमारी नहीं, हमारे अहसास की है, 
दास्ताँ ही कुछ ऐसी हमारे प्यार की है।
            
                                              Mahaveer kumar

लफ़्जों को पता नहीं होता कहना क्या है, और आँखें वो सब बयाँ कर देती हैं। ज़रुरत यहाँ शब्दों की नहीं, अहसास की है, दास्ताँ ही कुछ ऐसी हमारे प्यार की है। हल्की सी मुस्कान उसकी, मुझे पागल कर देती है, बिना जख़्म दिए, इस दिल को घायल कर देती है। ख़ूबी ही कुछ ऐसी है उसकी, बिना बोले सब कह देती है, दास्ताँ ही कुछ ऐसी हमारे प्यार की है। बातें हम उतना नहीं करते, जितना महसूस कर लेते हैं, इश्क़-ए-अहसास को हम जी भर जी लेते हैं। ये बात हमारी नहीं, हमारे अहसास की है, दास्ताँ ही कुछ ऐसी हमारे प्यार की है। Mahaveer kumar

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