कितना आसान होता है चलते चले जाना,
यदि केवल हम चलते हुए होते,
बाकी सब रुका हुआ हो,
मैने इस उल जलूल दुनिया को दस सरों से
सोचने और बीस हाथों से पाने की कोशिश में,
मैने इसे अपने लिए बहुत मुश्किल बना दिया है,
शुरू शुरू में सब यही चाहते है की सब शुरू से
शुरू हो, लेकिन अंत तक पहुंचते पहुंचते
हिम्मत हार जाते है हमे कोई दिलचस्पी नहीं
रहती की वो सब कैसे समाप्त होता है जो
इतनी धूम धाम से शुरहमारे जाने पर
©Neerav Nishani
#Exploration