"कोई किस दौर से गुजर रहा है
ये दुनिया इस बात को नही समझती
लाख गम छुपाए दिल में
इस नकली हसी का राज नही समझती
कोई कितना मजबूर होता है
इस बात को नही समझती
समझने की कोशिश तुम्हे करेगे बहुत
जब कोई समझे न तब तक ये बात न बनती
ये दुनिया किसी के जज़्बात नि समझती
©diksha
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