बेरोजगारी पाव पसारे बैठी है,ख़ुद का खर्चा उठा ना प | हिंदी Poetry

"बेरोजगारी पाव पसारे बैठी है,ख़ुद का खर्चा उठा ना पाए! देश का युवा क्या करे,कैसे रस्म-ए-दुनिया निभाए! हाथ में ना रोजगार कोई,घरवाले ब्याह-ब्याह चिल्लाये! ख़ुद का भाड़ा दिया ना जाता,लुगाई के नखरे कैसे उठाये! रोजगार लिए दिन-रात पढे़,पेपर क्षण में लीक हो जाए! पूरी साल की मेहनत पर,क्षण भर में पानी फिर जाए! बेरोजगारी सांप बनकर देश के युवा डसती जाए!! ©Rimpi chaube"

 बेरोजगारी पाव पसारे बैठी है,ख़ुद का खर्चा उठा ना पाए! 
देश का युवा क्या करे,कैसे रस्म-ए-दुनिया निभाए! 
हाथ में ना रोजगार कोई,घरवाले ब्याह-ब्याह चिल्लाये! 
ख़ुद का भाड़ा दिया ना जाता,लुगाई के नखरे कैसे उठाये! 
रोजगार लिए दिन-रात पढे़,पेपर क्षण में लीक हो जाए! 
पूरी साल की मेहनत पर,क्षण भर में पानी फिर जाए! 
बेरोजगारी सांप बनकर देश के युवा डसती जाए!!

©Rimpi chaube

बेरोजगारी पाव पसारे बैठी है,ख़ुद का खर्चा उठा ना पाए! देश का युवा क्या करे,कैसे रस्म-ए-दुनिया निभाए! हाथ में ना रोजगार कोई,घरवाले ब्याह-ब्याह चिल्लाये! ख़ुद का भाड़ा दिया ना जाता,लुगाई के नखरे कैसे उठाये! रोजगार लिए दिन-रात पढे़,पेपर क्षण में लीक हो जाए! पूरी साल की मेहनत पर,क्षण भर में पानी फिर जाए! बेरोजगारी सांप बनकर देश के युवा डसती जाए!! ©Rimpi chaube

#बेरोजगारी
बेरोजगारी पाव पसारे बैठी है,ख़ुद का खर्चा उठा ना पाए!
देश का युवा क्या करे,कैसे रस्म-ए-दुनिया निभाए!
हाथ में ना रोजगार कोई,घरवाले ब्याह-ब्याह चिल्लाये!
ख़ुद का भाड़ा दिया ना जाता,लुगाई के नखरे कैसे उठाये!
रोजगार लिए दिन-रात पढे़,पेपर क्षण में लीक हो जाए!
पूरी साल की मेहनत पर,क्षण भर में पानी फिर जाए!
बेरोजगारी सांप बनकर देश के युवा डसती जाए!!

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