ज़ख़्मों में हँसना पड़ता है शाइरी के लिए गिर गिरकर उठ | हिंदी शायरी

"ज़ख़्मों में हँसना पड़ता है शाइरी के लिए गिर गिरकर उठना पड़ता है शाइरी के लिए ज़िंदादिली से हो जाती, तो सब करते, जीते जी मरना पड़ता है शाइरी के लिए तुम्हारे राज़, तुम राज़ रख सकते हो, हमको सब कहना पड़ता है शाइरी के लिए नदी किनारे बैठने भर से कुछ नहीं होगा, दरिया संग बहना पड़ता है शाइरी के लिए मेरे किस्से ग़र तुम तक पहुँचें, रोना मत दर्द तो देखो सहना पड़ता है शाइरी के लिए सुन लें, वो जो पूछ रहे थे कैसे होती है, दिल काग़ज़ पर रखना पड़ता है शाइरी के लिए -Pranav"

 ज़ख़्मों में हँसना पड़ता है शाइरी के लिए
गिर गिरकर उठना पड़ता है शाइरी के लिए

ज़िंदादिली से हो जाती, तो सब करते,
जीते जी मरना पड़ता है शाइरी के लिए

तुम्हारे राज़, तुम राज़ रख सकते हो,
हमको सब कहना पड़ता है शाइरी के लिए

नदी किनारे बैठने भर से कुछ नहीं होगा,
दरिया संग बहना पड़ता है शाइरी के लिए

मेरे किस्से ग़र तुम तक पहुँचें, रोना मत
दर्द तो देखो सहना पड़ता है शाइरी के लिए

सुन लें, वो जो पूछ रहे थे कैसे होती है,
दिल काग़ज़ पर रखना पड़ता है शाइरी के लिए

-Pranav

ज़ख़्मों में हँसना पड़ता है शाइरी के लिए गिर गिरकर उठना पड़ता है शाइरी के लिए ज़िंदादिली से हो जाती, तो सब करते, जीते जी मरना पड़ता है शाइरी के लिए तुम्हारे राज़, तुम राज़ रख सकते हो, हमको सब कहना पड़ता है शाइरी के लिए नदी किनारे बैठने भर से कुछ नहीं होगा, दरिया संग बहना पड़ता है शाइरी के लिए मेरे किस्से ग़र तुम तक पहुँचें, रोना मत दर्द तो देखो सहना पड़ता है शाइरी के लिए सुन लें, वो जो पूछ रहे थे कैसे होती है, दिल काग़ज़ पर रखना पड़ता है शाइरी के लिए -Pranav

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