*मौत* काश के पिताजी को गर्म चाय बेहद पसंद है। रस

"*मौत* काश के पिताजी को गर्म चाय बेहद पसंद है। रसोई में गैस पर तपती भगोनी , उबाल खाती चाय और सोफे तक का सफर कुछ वक्त की देरी ले ले तो वो भड़क जाते है ये कह कर कि चाय ठंडी हो गयी है । और फिर फरमान चाय फिर से गरम करने का । ऐसा अक्सर सर्दी में होता है। काश को रजाई में जाने की जल्दी होती है। और पिताजी की चाय पल में ठंडी। अधिकांशतः बिगड़ना होता है झल्लाते हुए और काश करती है कई सवाल। 1. फुर्र की तरह चाय कैसे ठंडी होती है भला ? 2. इतनी गरम चाय पीता कौन है ? आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। मगर इस बार काश ने कुछ नही कहा । ना गुस्सा जताया। फिलहाल फुर्र की तरह उड़ते देख सकती है वो लोगों को । हवा की तरह आ रहीं है *मौत* की खबरें। ये अखबारों में छपे, समाचारों में दिखाए आकड़ें नहीं। ये कुछ अपने है । रिश्तेदार, दोस्त, परिवार 1. कुछ ने कोरोना में दम तोड़ दिया 2. कुछ नही लड़ पाए डर से और आत्महत्या चुनी 3 कुछ ठंडे पड़ गए है। उनसे सवाल तक नहीं कर पाई। 1. ऐसे कौन ठंडा होता है भला 2. ज़िन्दगी तो आग ही है ना सब्र कर लेते थोड़ा। लड़ लेते गर्म घूंट पी कर। ऐसा कहीं पढ़ा था। *मौत बहुत महंगी मंज़िल है जिस तक पहुंचने के लिये जिंदगी की जद्दोजहद से गुजरना होता है* मगर ये एक पल में मौतों की संख्या बता रही है मौतें सस्ती हो गयी है । जिदंगी बहुत महंगी। और ये सस्ती मौत यूं ही हर जगह मिल रही है बेची जा रही है और हाथ मे थमाई जा रहीं है। *काश को तो अब उसके पसंदीदा कोने की दीवार पर टंगी, उसी की फ़ोटो घूरती है डराती है।* कैसे देख पाएगी वो उन अपनों की तस्वीरें जो अब आखिरी निशानी बन चुकी है । पल्लवी ©PALLAVI MISHRA"

 *मौत* 

काश के पिताजी को गर्म चाय बेहद पसंद है। रसोई में गैस पर तपती भगोनी , 
उबाल खाती चाय और सोफे तक का सफर कुछ वक्त की देरी ले ले तो वो भड़क जाते है 
ये कह कर कि चाय ठंडी हो गयी है । और फिर फरमान चाय फिर से गरम करने का
। ऐसा अक्सर सर्दी में होता है। काश को रजाई में जाने की जल्दी होती है। और पिताजी की चाय पल में ठंडी। अधिकांशतः बिगड़ना होता है झल्लाते हुए और काश करती है कई सवाल। 

1. फुर्र की तरह चाय कैसे ठंडी होती है भला ? 
2. इतनी गरम चाय पीता कौन है ?

आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। मगर इस बार काश ने कुछ नही कहा । ना गुस्सा जताया। 

फिलहाल फुर्र की तरह उड़ते देख सकती है वो लोगों को । हवा की तरह आ रहीं है *मौत* की खबरें। ये अखबारों में छपे, समाचारों में दिखाए आकड़ें नहीं।  ये कुछ अपने है । रिश्तेदार, दोस्त, परिवार

1. कुछ ने कोरोना में दम तोड़ दिया
2. कुछ नही लड़ पाए डर से और आत्महत्या चुनी 
3 कुछ ठंडे पड़ गए है। 

उनसे सवाल तक नहीं कर पाई। 
1. ऐसे कौन ठंडा होता है भला
2. ज़िन्दगी तो आग ही है ना सब्र कर लेते थोड़ा। लड़ लेते गर्म घूंट पी कर। 

ऐसा कहीं पढ़ा था। *मौत बहुत महंगी मंज़िल है जिस तक पहुंचने के लिये जिंदगी की जद्दोजहद से गुजरना होता है* 
मगर ये एक पल में मौतों की संख्या बता रही है मौतें सस्ती हो गयी है । जिदंगी बहुत महंगी। 

और ये सस्ती मौत यूं ही हर जगह मिल रही है बेची जा रही है और हाथ मे थमाई जा रहीं है। 

*काश को तो अब उसके पसंदीदा कोने की दीवार पर टंगी, उसी की फ़ोटो घूरती है डराती है।* 

कैसे देख पाएगी वो उन अपनों की तस्वीरें जो अब आखिरी निशानी बन चुकी है । 


पल्लवी

©PALLAVI MISHRA

*मौत* काश के पिताजी को गर्म चाय बेहद पसंद है। रसोई में गैस पर तपती भगोनी , उबाल खाती चाय और सोफे तक का सफर कुछ वक्त की देरी ले ले तो वो भड़क जाते है ये कह कर कि चाय ठंडी हो गयी है । और फिर फरमान चाय फिर से गरम करने का । ऐसा अक्सर सर्दी में होता है। काश को रजाई में जाने की जल्दी होती है। और पिताजी की चाय पल में ठंडी। अधिकांशतः बिगड़ना होता है झल्लाते हुए और काश करती है कई सवाल। 1. फुर्र की तरह चाय कैसे ठंडी होती है भला ? 2. इतनी गरम चाय पीता कौन है ? आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। मगर इस बार काश ने कुछ नही कहा । ना गुस्सा जताया। फिलहाल फुर्र की तरह उड़ते देख सकती है वो लोगों को । हवा की तरह आ रहीं है *मौत* की खबरें। ये अखबारों में छपे, समाचारों में दिखाए आकड़ें नहीं। ये कुछ अपने है । रिश्तेदार, दोस्त, परिवार 1. कुछ ने कोरोना में दम तोड़ दिया 2. कुछ नही लड़ पाए डर से और आत्महत्या चुनी 3 कुछ ठंडे पड़ गए है। उनसे सवाल तक नहीं कर पाई। 1. ऐसे कौन ठंडा होता है भला 2. ज़िन्दगी तो आग ही है ना सब्र कर लेते थोड़ा। लड़ लेते गर्म घूंट पी कर। ऐसा कहीं पढ़ा था। *मौत बहुत महंगी मंज़िल है जिस तक पहुंचने के लिये जिंदगी की जद्दोजहद से गुजरना होता है* मगर ये एक पल में मौतों की संख्या बता रही है मौतें सस्ती हो गयी है । जिदंगी बहुत महंगी। और ये सस्ती मौत यूं ही हर जगह मिल रही है बेची जा रही है और हाथ मे थमाई जा रहीं है। *काश को तो अब उसके पसंदीदा कोने की दीवार पर टंगी, उसी की फ़ोटो घूरती है डराती है।* कैसे देख पाएगी वो उन अपनों की तस्वीरें जो अब आखिरी निशानी बन चुकी है । पल्लवी ©PALLAVI MISHRA

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