एक रावण था जिसने कभी ना
सीता को या हाथ लगाया
मर्यादा रखी थी उसने
जबरन चाहे था उठा कर लाया
आज हर कोई राम है बनता
सीता पर ना पवित्र रह पाए
रावण को जलाने वालों से ही
त्रास सदा ये सहती जाए
नारी को छूने का रावण को
आज तक पड़ता है कर्ज़ चुकाना
जो ना नारी की इज्ज़त करते
सोचो उनका क्या होगा अफसाना
©Anita Mishra
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