Dussehra quotes
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#Dussehra #Quotes  रावण को मारने निकलेंगे आज कई लोग
बिना राम बने

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#Dussehra रावण को मारने निकलेंगे आज कई लोग बिना राम बने dussehra quotes in hindi

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प्रेम जताने के पहले "राम" नज़र आने वाले लड़के भी, "शमी" अचानक लड़कियों को "रावण" नज़र आने लगते हैं। ©"Author Shami" ✍️ (Satish Girotiya)

#Dussehra  प्रेम जताने के पहले "राम" नज़र आने वाले लड़के भी, 
"शमी"
अचानक लड़कियों को "रावण" नज़र आने लगते हैं।

©"Author Shami" ✍️ (Satish Girotiya)

#Dussehra

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कलि का युग कलि–युग यहां, तुम राम की आस लगाए हो। न धर्म पताका कभी लिया हाँथ,तुम बाण मुझपे चलाए हो।। है क्या कौशल तुम्हरे भीतर? हो झांक सके अपने भीतर? मैं दसों इन्द्री विजित प्रचंड,दशानन नाम धराता हूं। है बाहुबल मुझमें इतना की, देह पर कैलाश सधाता हूं। मैं हूं विश्रवा का वो सुत जिसने, वशी किया अविनाशी को । फिर तू कौन होता है जो दाह दे विन्यासी को।। मैं वो हूं जिसने काल को भी, माया में अपनी फसा लिया। रच तांडव कैलाश -पति पर , अपना मस्तक चढ़ा दिया। त्रिलोक विजयी मैं परम प्रतापी , बस माया का मारा हूं । साधु बन एक पति–व्रता का, मैं हरण करने वाला हूं। था जो पाप किया मैने, दुष्फल उसका भोग लिया। जब चला बाण धर्म–पति का अधर्म का अमृत सुखो दिया।। @susheel Pandit ©susheel sk

#पौराणिककथा #Dussehra  कलि का युग कलि–युग यहां, तुम राम की आस लगाए हो।
न धर्म पताका कभी लिया हाँथ,तुम बाण मुझपे चलाए हो।।
है क्या कौशल तुम्हरे भीतर?
हो झांक सके अपने भीतर?
मैं दसों इन्द्री विजित प्रचंड,दशानन नाम धराता हूं।
है बाहुबल मुझमें इतना की, देह पर कैलाश सधाता हूं।
मैं हूं विश्रवा का वो सुत जिसने, वशी किया अविनाशी को ।
फिर तू कौन होता है जो
दाह दे विन्यासी को।।
मैं वो हूं जिसने काल को भी, माया में अपनी फसा लिया।
रच तांडव कैलाश -पति पर , अपना मस्तक चढ़ा दिया।
त्रिलोक विजयी मैं परम प्रतापी , बस माया का मारा हूं ।
साधु बन एक पति–व्रता का, मैं हरण करने वाला हूं।
था जो पाप किया मैने,  दुष्फल उसका भोग लिया।
जब चला बाण धर्म–पति का 
अधर्म का अमृत सुखो दिया।।
@susheel Pandit

©susheel sk

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Ram Ravan ©Shilpa 7888361288

#Dussehra #Quotes  Ram Ravan

©Shilpa 7888361288

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एक रावण था जिसने कभी ना सीता को या हाथ लगाया मर्यादा रखी थी उसने जबरन चाहे था उठा कर लाया आज हर कोई राम है बनता सीता पर ना पवित्र रह पाए रावण को जलाने वालों से ही त्रास सदा ये सहती जाए नारी को छूने का रावण को आज तक पड़ता है कर्ज़ चुकाना जो ना नारी की इज्ज़त करते सोचो उनका क्या होगा अफसाना ©Anita Mishra

#Dussehra #ravan #Ram  एक रावण था जिसने कभी ना
सीता को या हाथ लगाया
मर्यादा रखी थी उसने
जबरन चाहे था उठा कर लाया
आज हर कोई राम है बनता
सीता पर ना पवित्र रह पाए
रावण को जलाने वालों से ही
त्रास सदा ये सहती जाए
नारी को छूने का रावण को
आज तक पड़ता है कर्ज़ चुकाना
जो ना नारी की इज्ज़त करते
सोचो उनका क्या होगा अफसाना

©Anita Mishra

इंसानों के मन में अभिमान पलते देख रहा हूं, एक पुतले के लिए, रावण को राम बनते देख रहा हूं। ©Ankur Adarsh

#Dussehra2021 #nojoto2021 #Dussehra  इंसानों के मन में अभिमान पलते देख रहा हूं,

एक पुतले के लिए, रावण को राम बनते देख रहा हूं।

©Ankur Adarsh
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