एक रावण था जिसने कभी ना सीता को या हाथ लगाया मर्या | हिंदी Poetry

"एक रावण था जिसने कभी ना सीता को या हाथ लगाया मर्यादा रखी थी उसने जबरन चाहे था उठा कर लाया आज हर कोई राम है बनता सीता पर ना पवित्र रह पाए रावण को जलाने वालों से ही त्रास सदा ये सहती जाए नारी को छूने का रावण को आज तक पड़ता है कर्ज़ चुकाना जो ना नारी की इज्ज़त करते सोचो उनका क्या होगा अफसाना ©Anita Mishra"

 एक रावण था जिसने कभी ना
सीता को या हाथ लगाया
मर्यादा रखी थी उसने
जबरन चाहे था उठा कर लाया
आज हर कोई राम है बनता
सीता पर ना पवित्र रह पाए
रावण को जलाने वालों से ही
त्रास सदा ये सहती जाए
नारी को छूने का रावण को
आज तक पड़ता है कर्ज़ चुकाना
जो ना नारी की इज्ज़त करते
सोचो उनका क्या होगा अफसाना

©Anita Mishra

एक रावण था जिसने कभी ना सीता को या हाथ लगाया मर्यादा रखी थी उसने जबरन चाहे था उठा कर लाया आज हर कोई राम है बनता सीता पर ना पवित्र रह पाए रावण को जलाने वालों से ही त्रास सदा ये सहती जाए नारी को छूने का रावण को आज तक पड़ता है कर्ज़ चुकाना जो ना नारी की इज्ज़त करते सोचो उनका क्या होगा अफसाना ©Anita Mishra

#Dussehra #ravan#Ram

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