सफ़र मंजिल से बेखबर, सपनों से दोस्ती कर, चल पड़ा हूँ

"सफ़र मंजिल से बेखबर, सपनों से दोस्ती कर, चल पड़ा हूँ एक ऐसे ही सफर पर। ना कोई खबर है ठौर की ना ठिकाना है, खुद को मालूम नही जाना कहाँ है। निकल पड़ा हूँ तो कुछ हासिल कर लौटूंगा, सफर के जरिये राहों से दोस्ती कर बैठूंगा।"

 सफ़र मंजिल से बेखबर, सपनों से दोस्ती कर,
चल पड़ा हूँ एक ऐसे ही सफर पर।
ना कोई खबर है ठौर की ना ठिकाना है,
खुद को मालूम नही जाना कहाँ है।
निकल पड़ा हूँ तो कुछ हासिल कर लौटूंगा,
सफर के जरिये राहों से दोस्ती कर बैठूंगा।

सफ़र मंजिल से बेखबर, सपनों से दोस्ती कर, चल पड़ा हूँ एक ऐसे ही सफर पर। ना कोई खबर है ठौर की ना ठिकाना है, खुद को मालूम नही जाना कहाँ है। निकल पड़ा हूँ तो कुछ हासिल कर लौटूंगा, सफर के जरिये राहों से दोस्ती कर बैठूंगा।

People who shared love close

More like this

Trending Topic