अब अंधेरे मे भी, जीवन रौशन सा लगता है, उसका साथ हो | हिंदी शायरी

"अब अंधेरे मे भी, जीवन रौशन सा लगता है, उसका साथ होना, सावन सा लगता है, पहले गंभीर खामोशी में, मै जिस हलचल को ढूंढता था, उसका होना उसी बंधन सा लगता है, रात की ठहरी वक्त मे भी, अब घड़िया तेज चलती है, वो मुझे हवाए और किरण के, संगम सा लगता है, दिन की भीड़ मे, मै जिसका हाथ थामे रहता हू, शाम को वही, मुझसे लिपटा किसी दामन सा लगता है, ©Jay Kishan Rajput"

 अब अंधेरे मे भी,
जीवन रौशन सा लगता है,
उसका साथ होना,
सावन सा लगता है,
पहले गंभीर खामोशी में,
मै जिस हलचल को ढूंढता था,
उसका होना उसी बंधन सा लगता है,
रात की ठहरी वक्त मे भी,
अब घड़िया तेज चलती है,
वो मुझे हवाए और किरण के,
संगम सा लगता है,
दिन की भीड़ मे,
मै जिसका हाथ थामे रहता हू,
शाम को वही,
मुझसे लिपटा किसी दामन सा लगता है,

©Jay Kishan Rajput

अब अंधेरे मे भी, जीवन रौशन सा लगता है, उसका साथ होना, सावन सा लगता है, पहले गंभीर खामोशी में, मै जिस हलचल को ढूंढता था, उसका होना उसी बंधन सा लगता है, रात की ठहरी वक्त मे भी, अब घड़िया तेज चलती है, वो मुझे हवाए और किरण के, संगम सा लगता है, दिन की भीड़ मे, मै जिसका हाथ थामे रहता हू, शाम को वही, मुझसे लिपटा किसी दामन सा लगता है, ©Jay Kishan Rajput

#Smile

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