खुला आसमां था
खुले थे नज़ारे
पर रौनक भरी इन गलियों के
कभी बंद थे हर एक दरवाज़े
जहाँ बच्चों की आवाज़ से गुंजता था हर गली का गलियारा
कभी सुना पड़ा था मोहल्ला सारा
भीड़ भरी इन सड़कों पर न गाड़ियों का शोर
न कोई राहगीर जो किसी से पूछे की मेरी मंज़िल किस ओर
रुक सी गयी थी जिंदगी
थम सी गयी थी सबकी रफ़्तार
आई ,ऐसी महामारी जहाँ
फंसी सबकी जिंदगी बीच मझधार
जीवन के इस मुश्किल सफर में
अपनों का साथ पाया
कई अपनों को गवायाँ, और
कई संक्रमित हुए, तब
एक- दूसरे की हिम्मत बनकर
विकट परिस्थितियों में
सबका हौसला बढ़ाया
इस कठिन दौर को उम्मीदों की किरणों ने
हराया
आसाओं के दीपक से
ये जग फिर से जगमगाया ।।
©Amrita sahu
#lockdown