Amrita sahu

Amrita sahu Lives in Dhamtari, Chhattisgarh, India

Dhamtari (Chhatisgarh)

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#कविता #naturelover #self_love  दौड़ती भागती इस जिंदगी में
कुछ पल सुकूँ के साथ हूँ मैं
मेहफिल में नहीं
ख़ुद अपने साथ हूँ मैं
पर अकेली नहीं
अपनी डायरी और कलम के साथ हूँ मैं
अकेलापन नहीं यहाँ
प्रकृति के पास हूँ मैं
उसके केनवास् मे उतरी चित्रों की कहानी देख हैरान हूँ मैं
रंग बिरंगी इस दुनियाँ से कितनी अंजान हूँ मैं
देखे ही नहीं चैन से कभी ये खूबसूरत पल
आज उतरकर अपनी जिंदगी की नाव से
इस नयी कस्ती पर सवार हूँ मैं
आज बस अपने साथ हूँ मैं
दौड़ती भागती इस जिंदगी में
कुछ पल सुकूँ के साथ हूँ मैं।। 
                   अमृता साहू ✍️...

©Amrita sahu
#कविता  **अनुशासन**

अनुशासन भी एक कला
जिसमे ये कला उसका जादू सबके दिलों मे चला
जिसने अनुशासन को अपनाया
उसने अपना जीवन सफल बनाया
अनुशासन एक बड़ी सीख
यह नहीं कोई छोटी मोटी चीज
अनुशासन से शुरू हुआ शासन, जिससे बना बड़ा प्रशासन
अनुशासन का अर्थ जो नहीं  समझता
उसके कारण इंसान भटकता
जिसने अनुशासन नहीं अपनाया
उसने अपना भविष्य गंवाया
अनुशासन के बिना ली हो अगर डिग्रियाँ
तो बेकार सब नौकरियां
अनुशासन मे रहकर उठना, लिखना - पढ़ना और चलना
इसी से होगी नये इतिहास की गणना।। 
                                               अमृता साहू🖊🖊

©Amrita sahu

# अनुशासन

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नियम हमारा-तुम्हारा नहीं नियम हम सबका हो सबकी भावनाओं का सबके सम्मान का हो, नियम एक-दूसरे से अलग करने का नहीं नियम सबको खुल के जीने का सबको निष्पक्ष न्याय, चयन का हो, नियम स्त्री- पुरुष का नहीं नियम मानवता का सबके सर्वांगीण विकास का हो, नियम रूढ़ि-प्रथा का नहीं नियम नयी सोच के साथ आगे बढ़ने का सबकी संस्कृति परंपरा को समेटें सबको साथ लेकर चलने का हो, नियम स्थायी नहीं समय के साथ परिवर्तन का सर्वधर्म सद्भाव का हो।। अमृता साहू ✍️.. ©Amrita sahu

#niyamvojissekisikonuksannapahuche #समाज #selfrespect #equality #justice  नियम हमारा-तुम्हारा नहीं
नियम हम सबका हो
सबकी भावनाओं का
सबके सम्मान का
हो, 
नियम एक-दूसरे से अलग करने का नहीं
नियम सबको खुल के जीने का
सबको निष्पक्ष न्याय, चयन का 
हो, 
नियम स्त्री- पुरुष का नहीं
नियम मानवता का
सबके सर्वांगीण विकास का
हो, 
नियम रूढ़ि-प्रथा का नहीं
नियम नयी सोच के साथ आगे बढ़ने का
सबकी संस्कृति परंपरा को समेटें
सबको साथ लेकर चलने का
हो, 
नियम स्थायी नहीं
समय के साथ परिवर्तन का
सर्वधर्म सद्भाव का
हो।। 
         अमृता साहू ✍️..

©Amrita sahu

रुक जा ये गालिब किधर जा रहा है यहाँ अपनों की दुनिया में अपना कोई नहीं तो सपनों की दुनिया के सपने में अपना कौन है? ©Amrita sahu

#ज़िन्दगी #walkalone  रुक जा ये गालिब
किधर जा रहा है
यहाँ अपनों की दुनिया में अपना कोई नहीं
तो सपनों की दुनिया के सपने में अपना कौन है?

©Amrita sahu

#walkalone

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#प्रेरक #lockdown  खुला आसमां था
खुले थे नज़ारे
पर रौनक भरी इन गलियों के
कभी बंद थे हर एक दरवाज़े
जहाँ बच्चों की आवाज़ से गुंजता था हर गली का गलियारा
कभी सुना पड़ा था मोहल्ला सारा
भीड़ भरी इन सड़कों पर न गाड़ियों का शोर
न कोई राहगीर जो किसी से पूछे की मेरी मंज़िल किस ओर
रुक सी गयी थी जिंदगी
थम सी गयी थी सबकी रफ़्तार
आई  ,ऐसी महामारी जहाँ
फंसी सबकी जिंदगी बीच मझधार
जीवन के इस मुश्किल सफर में
अपनों का साथ पाया
कई अपनों को गवायाँ, और
कई संक्रमित हुए, तब
एक- दूसरे की हिम्मत बनकर
विकट परिस्थितियों में
सबका हौसला बढ़ाया
इस कठिन दौर को उम्मीदों की किरणों ने
हराया
आसाओं के दीपक से
ये जग फिर से जगमगाया ।।

©Amrita sahu

#lockdown

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खुला आसमां था खुले थे नज़ारे पर रौनक भरी इन गलियों के कभी बंद थे हर एक दरवाज़े जहाँ बच्चों की आवाज़ से गुंजता था हर गली का गलियारा कभी सुना पड़ा था मोहल्ला सारा भीड़ भरी इन सड़कों पर न गाड़ियों का शोर न कोई राहगीर जो किसी से पूछे की मेरी मंज़िल किस ओर रुक सी गयी थी जिंदगी थम सी गयी थी सबकी रफ़्तार आई ,ऐसी महामारी जहाँ फंसी सबकी जिंदगी बीच मझधार जीवन के इस मुश्किल सफर में अपनों का साथ पाया कई अपनों को गवायाँ, और कई संक्रमित हुए, तब एक- दूसरे की हिम्मत बनकर विकट परिस्थितियों में सबका हौसला बढ़ाया इस कठिन दौर को उम्मीदों की किरणों ने हराया आसाओं के दीपक से ये जग फिर से जगमगाया ।। ©Amrita sahu

#ज़िन्दगी #lockdown  खुला आसमां था
खुले थे नज़ारे
पर रौनक भरी इन गलियों के
कभी बंद थे हर एक दरवाज़े
जहाँ बच्चों की आवाज़ से गुंजता था हर गली का गलियारा
कभी सुना पड़ा था मोहल्ला सारा
भीड़ भरी इन सड़कों पर न गाड़ियों का शोर
न कोई राहगीर जो किसी से पूछे की मेरी मंज़िल किस ओर
रुक सी गयी थी जिंदगी
थम सी गयी थी सबकी रफ़्तार
आई  ,ऐसी महामारी जहाँ
फंसी सबकी जिंदगी बीच मझधार
जीवन के इस मुश्किल सफर में
अपनों का साथ पाया
कई अपनों को गवायाँ, और
कई संक्रमित हुए, तब
एक- दूसरे की हिम्मत बनकर
विकट परिस्थितियों में
सबका हौसला बढ़ाया
इस कठिन दौर को उम्मीदों की किरणों ने
हराया
आसाओं के दीपक से
ये जग फिर से जगमगाया ।।

©Amrita sahu

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