ज़िन्दगी को हम जफ़ा कहते हैं
मौत को हम वफ़ा कहते हैं
गुमान हो जिसे सूरत पर अपनी
ऐसी सूरत को हम दग़ा कहते हैं
ज़ुल्म सह कर भी जो उफ़ ना करे
ऐसे लोगों को हम ख़ुदा कहते हैं
इश्क़ क्या है कौन समझाए हमें
इश्क़ को भी हम नशा कहते हैं
वो हर बार हमें खुद से दूर करते हैं
उसकी याद को हम मजा कहते हैं
झुक कर मिले तो हम गले लगते हैं
ऊंची आवाज को हम हवा कहते हैं
©prakash Jha
ज़िन्दगी को हम जफ़ा कहते हैं
मौत को हम वफ़ा कहते हैं
गुमान हो जिसे सूरत पर अपनी
ऐसी सूरत को हम दग़ा कहते हैं
ज़ुल्म सह कर भी जो उफ़ ना करे
ऐसे लोगों को हम ख़ुदा कहते हैं