कभी मां, कभी दादी,
तो कभी नानी बन कर आई हो,
कैसे नकार सकता है कोई
आपका किरदार दुनिया में,
आप हर वक़्त दुनिया में छाई हो।
कभी बहन, कभी दोस्त,
कभी पत्नी बनकर संभाला है,
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर,
आज मोर्चा संभाला है।
कभी दुर्गा, कभी काली,
कभी राधा सी प्रेम की मूरत हो,
किसी की जान, किसी का जहा,
किसी के लिए सबसे खूबसूरत हो।
आज दुनिया की ऊंची से ऊंची,
उड़ान तुम भरती हो,
कोई कार्य तुमसे बचा नहीं,
जो आज नहीं करती हो।
तुम्हारे किरदार को "योगी"
सिर्फ़ वही मानता है,
जो आज भी इंसान में,
भगवान को पहचानता है।
©योगेश योगी
नारी शक्ति को प्रणाम।
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