प्रेम संबंधों में सावन भादों की घनी हरियाली अब पूस माघ तक आते आते अकड़ने लगती ज्येष्ठ आषाढ़ तक पहुंचते क्रोध में झुलसने लगती फिर सावन के आने तक बूंदों में बिखरकर मिटने लगती बड़ी ही छोटी उम रह गई आपसी सम्मानित स्वाभिमान की बबली गुर्जर ©Babli Gurjar KK क्षत्राणी Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto