दुनियाँ को अपना चेहरा दिखाना पड़ा 
मुझे
पर्दा जो ह
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प्रेम संबंधों में सावन भादों की घनी हरियाली अब पूस माघ तक आते आते अकड़ने लगती ज्येष्ठ आषाढ़ तक पहुंचते क्रोध में झुलसने लगती फिर सावन के आने तक बूंदों में बिखरकर मिटने लगती बड़ी ही छोटी उम रह गई आपसी सम्मानित स्वाभिमान की बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#कविता  प्रेम संबंधों में सावन भादों की  घनी हरियाली
अब पूस माघ तक आते आते अकड़ने लगती
ज्येष्ठ आषाढ़ तक पहुंचते क्रोध में झुलसने लगती
फिर सावन के आने तक बूंदों में बिखरकर मिटने लगती
बड़ी ही छोटी उम रह गई आपसी सम्मानित स्वाभिमान की
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar
#hindi_shayari #hindiwriters #MohitRockF44 #nojolove #Dard  दुनियाँ को अपना चेहरा दिखाना पड़ा 
मुझे
पर्दा जो हमारे दरमियां था 
वो हटाना पड़ा मुझे
रुसवाईयों के खौफ से महफिल में यारो
आज
फिर उस बेवफा से हाथ 
मिलाना पड़ा मुझे

©MoHiTRoCk F44

दुनियाँ को अपना चेहरा दिखाना पड़ा मुझे पर्दा जो हमारे दरमियां था वो हटाना पड़ा मुझे रुसवाईयों के खौफ से महफिल में यारो आज फिर उस बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे

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