पिता पिता तुम और मैं पति पत्नी थे, तुम माँ बन गईं | हिंदी Poetry

"पिता पिता तुम और मैं पति पत्नी थे, तुम माँ बन गईं मैं पिता रह गया। तुमने घर सम्भाला, मैंने कमाई ,लेकिन तुम "माँ के हाथ का खाना" बन गई,मैं कमाने वाला पिता रह गया। बच्चों को चोट लगी और तुमने गले लगाया,मैंने समझाया, तुम ममतामयी बन गई, मैं पिता रह गया। बच्चों ने गलतियां कीं,तुम पक्ष ले कर "understanding Mom" बन गईं और मैं "पापा नहीं समझते" वाला पिता रह गया। "पापा नाराज होंगे" कह कर, तुम बच्चों की बेस्ट फ्रेंड बन गईं, और मैं गुस्सा करने वाला पिता रह गया। तुम्हारे आंसू में मां का प्यार ,और मेरे छुपे हुए आंसुओं मे मैं निष्ठुर पिता रह गया। तुम चंद्रमा की तरह शीतल बनतीं गईं,और पता नहीं कब मैं सूर्य की अग्नि सा पिता रह गया। तुम धरती माँ,भारत मां और मदर नेचर बनतीं गईं, और मैं जीवन को प्रारंभ करने का दायित्व लिए सिर्फ एक पिता रह गया... ©पूर्वार्थ"

 पिता 
पिता
तुम और मैं पति पत्नी थे,
तुम माँ बन गईं मैं पिता रह गया। 
तुमने घर सम्भाला, मैंने कमाई
,लेकिन तुम "माँ के हाथ का खाना" बन गई,मैं कमाने वाला पिता रह गया।
बच्चों को चोट लगी और तुमने गले लगाया,मैंने समझाया,
तुम ममतामयी बन गई, मैं पिता रह गया।
 बच्चों ने गलतियां कीं,तुम पक्ष ले कर "understanding Mom" बन गईं 
और मैं "पापा नहीं समझते" वाला पिता रह गया।
"पापा नाराज होंगे" कह कर, तुम बच्चों की बेस्ट फ्रेंड बन गईं,
 और मैं गुस्सा करने वाला पिता रह गया।
तुम्हारे आंसू में मां का प्यार ,और मेरे छुपे हुए आंसुओं मे मैं निष्ठुर पिता रह गया।
तुम चंद्रमा की तरह शीतल बनतीं गईं,और पता नहीं कब
 मैं सूर्य की अग्नि सा पिता रह गया।
तुम धरती माँ,भारत मां और मदर नेचर बनतीं गईं,
और मैं जीवन को प्रारंभ करने का दायित्व लिए

सिर्फ एक पिता रह गया...

©पूर्वार्थ

पिता पिता तुम और मैं पति पत्नी थे, तुम माँ बन गईं मैं पिता रह गया। तुमने घर सम्भाला, मैंने कमाई ,लेकिन तुम "माँ के हाथ का खाना" बन गई,मैं कमाने वाला पिता रह गया। बच्चों को चोट लगी और तुमने गले लगाया,मैंने समझाया, तुम ममतामयी बन गई, मैं पिता रह गया। बच्चों ने गलतियां कीं,तुम पक्ष ले कर "understanding Mom" बन गईं और मैं "पापा नहीं समझते" वाला पिता रह गया। "पापा नाराज होंगे" कह कर, तुम बच्चों की बेस्ट फ्रेंड बन गईं, और मैं गुस्सा करने वाला पिता रह गया। तुम्हारे आंसू में मां का प्यार ,और मेरे छुपे हुए आंसुओं मे मैं निष्ठुर पिता रह गया। तुम चंद्रमा की तरह शीतल बनतीं गईं,और पता नहीं कब मैं सूर्य की अग्नि सा पिता रह गया। तुम धरती माँ,भारत मां और मदर नेचर बनतीं गईं, और मैं जीवन को प्रारंभ करने का दायित्व लिए सिर्फ एक पिता रह गया... ©पूर्वार्थ

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