यक़ीनी कुछ भी छपता नही अख़बार में। विज्ञापन देख रहे | हिंदी Shayari

"यक़ीनी कुछ भी छपता नही अख़बार में। विज्ञापन देख रहे है हम तो समाचार में। ख़बर की तलाश मे चैनल बदल रहे है। पत्रकारिता बिक गयी TRP के बाज़ार में। यूसुफ देहलवी ©Yusuf Dehlvi"

 यक़ीनी कुछ भी छपता नही अख़बार में।
विज्ञापन देख रहे है हम तो समाचार में।

ख़बर की तलाश मे चैनल बदल रहे है।
पत्रकारिता बिक गयी TRP के बाज़ार में।

यूसुफ देहलवी

©Yusuf Dehlvi

यक़ीनी कुछ भी छपता नही अख़बार में। विज्ञापन देख रहे है हम तो समाचार में। ख़बर की तलाश मे चैनल बदल रहे है। पत्रकारिता बिक गयी TRP के बाज़ार में। यूसुफ देहलवी ©Yusuf Dehlvi

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