White पंखे से लटकूँगा नही।
चलते चलते थक जाऊँगा, गीर जाऊँगा, हार
भी सकता हूँ लेकिन सहारा लूँगा नही। मसला-ऐ-इश्क
कोई नहीं, ये बोझ हैं जवानी का, जिम्मेदारीयों का दौर हैं,
यूँ हादसों से डरूंगा नहीं। चाहे लाख कांटे हो रास्ते में संघर्ष
के, लहू लुहानं होके भी हदूँगा नहीं। सताले जितना सताना
तुभी ऐ जिंदगी, मैं भी बड़ा जिद्दी हूँ, पंखे से लटकूँगा नही..!
©पूर्वार्थ
#लाइफ