बारिश तो फिर आ जाती है
मगर अब तुम नही आती
छा जाती है काली घटाएं
तुम अब जुल्फें नही सुलझाती
तेज़ ठंडी हवाएं चूमती है मुझे
तुम क्यों नही गले लगाती
बारिश की बौछार भिगो देती है
मगर तुम नजर नहीं आती
पानी में भीगने की ज़िद
अब क्यों नहीं दिखाती
वोह चाय पीने की बेचैनी
अब तुम में नज़र नही आती
गुज़र जाती है यूं ही बारिश
अब तुम्हें मेरी याद नहीं आती।
29 July... बरसात की एक रात
Miss You... Rose
©Rose Rehan
अब तुम्हे मेरी याद नहीं आती ।