बारिश तो फिर आ जाती है मगर अब तुम नही आती छा जाती है काली घटाएं तुम अब जुल्फें नही सुलझाती तेज़ ठंडी हवाएं चूमती है मुझे तुम क्यों नही गले लगाती.
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