"न जाने किस माटी की साथ लिए धूल हूँ
जाना मुझे दूर् हे फिर भी न जाने को मजबूर हूँ
छोड़े से जो न छूटे ऐसी एक डोर हैं
आँखों से आंसुओ की बारिशें घनघोर हैं
गीत प्रीत प्रेम के साथ लिये चला हूँ
फिर ना मिलूंगा मै ऐसा अब मिला हूँ
एक और दिल में मेरे बसति मेरी माँ है
दिल के दूसरे हिस्से में मेरे पापा है
वो घर जहा पर मस्ती भरपूर हैं
बक्त के चलते वो घर अब दूर हैं
©Ankit Rajput"