जल 💧
यु तो मै किमति नहीं हूं सोने जैसा
पर विन मेरे बहुत कुछ हे खोने जैसा
बेपरवाह तरीके से तुम मुझे बहाते हो
मेरा मोल समझे बिना फिजूल गवाते हो
यु तो सूंदर रूप थे मेरे,पर स्वरुप तो मेरा तुमने बदला
मै तो था नदियों से निकला,नालो में तो तुमने बदला
पीने को मै पर्याप्त नहीं,फिर फैक्टरियों में मुझे क्यों जलाया
धरती पर मै साफ नहीं,फिर गन्दगी मुझमे क्यों मिलाया
ये दुनिया एक बगीचा हें,तुम हो उसके फूल
सींचकर तुमको बड़ा किया,यही गए तुम भूल
विना मेरे वो मंजर् होगा
जैसे फूल बिना बगीचा हैं
बचाना मुझे सिख लो अपने जीवन के हिस्सो में
वरना मुझे ढूंढते रहना कहानी और किस्सो में।।
©Ankit Rajput
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