एक अरसा बीत गया है तेरी यादों में मदहोश हुए
आजकल मैं दो घूँट जाम में शाम गुजार देता हूँ।
एक अरसा बीत गया है जुदाई की गुमनामी में खामोश हुए
आजकल मैं लफ़्ज़ों को खुद के भीतर ही मार देता हूँ।
हा सच में एक अरसा बीत गया है तुझे खोने का अफसोस हुए
आजकल मैं तेरी बेवफाई के सच को सिर्फ नकार देता हूँ।
एक अरसा बीत गया है जेहन में इश्क़ का आक्रोश हुए
आजकल मैं इश्क़ को टूटी उम्मीदों के जरिये सँवार देता हूँ।
#काफ़िर
अरसा बीत गया है #Nojotovoice #nojotohindi