लॉजिक कहाँ है ? लॉजिक यहां है, आप समय लेकर ध्यानपू

"लॉजिक कहाँ है ? लॉजिक यहां है, आप समय लेकर ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे और समझेंगे तभी वहां तक पहुंच पाएंगे! मैं आर एस एस-राष्ट्र सर्वनाशी संघ और भाजपा सरकारों को 2014 नहीं 1992 से पहले से ही जानता और समझता हूं, इसलिए इन मक्कारों की सरकारों को केन्द्र से लेकर राज्यों तक कहीं पर भी विधिवत संवैधानिक नहीं स्वीकार सका हूं और न कभी इन धोखेबाजों के जाल में फंसाना पसन्द है, क्यों कि: 1. ये कभी भी सत्ता में 32-38 % वोटों से अधिक लेकर नहीं आये हैं अर्थात भारत की 68-62% देश की जनता इन मक्कारों के विरोध में रही है। 2. जब भी सत्तासीन हुए देश और भारतवासियों के अहित, देश विरोधी ग़ैर क़ानूनी गति विधियां करते हुए आतंक और हिंसा के सहारे भारतीय नागरिकों का शोषण और भ्रष्टाचार द्वारा लूट से असुरक्षा और अन्याय करते चले आए हैं। 3. सत्तासीन होने से पूर्व लोकतांत्रिक सीढ़ी से शीर्ष पदों पर आते ही जिस संविधान की सौगंध लेकर सत्तारूढ़ होते हैं उसी की जड़ें खोदना ओर सौगंध के एक एक शब्द का उलंघन करना इन की परम्परा रही है अर्थात देश विरोधी, भारतीय नागरिकों विरोधी आतंकी, हिंसा और अन्याय का सहारा लेकर अपने शासनकाल में कुछ भारतीयों को मूर्ख बना कर शेष विरोधियों पर दंड भेद की दमनकारी नीतियों से स्वयं अपने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे कर देश को तबाह करना इन का प्रमुख लक्ष्य रहा है। ये और बहुत सी ऐसी ही इन की ग़ैर क़ानूनी ही नहीं देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त रहने वालों को चाहें वह राष्ट्र पति प्रधानमंत्री, गृहुमतरी या किसी भी अन्य उच्चतम पदों पर क़ब्जा करलें राष्ट्र भक्त या देशभक्तों को "देशद्रोही" के अतिरिक्त कोई अन्य पर्याय शब्दकोश में शब्द नहीं मिता । ©Mohammed Shamoon"

 लॉजिक कहाँ है ? लॉजिक यहां है, आप समय लेकर ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे और समझेंगे तभी वहां तक पहुंच पाएंगे!
मैं आर एस एस-राष्ट्र सर्वनाशी संघ और भाजपा सरकारों को 2014 नहीं 1992 से पहले से ही जानता और समझता हूं, इसलिए इन मक्कारों की सरकारों को केन्द्र से लेकर राज्यों तक कहीं पर भी विधिवत संवैधानिक नहीं स्वीकार सका हूं और न कभी इन धोखेबाजों के जाल में फंसाना पसन्द है,
क्यों कि: 
1. ये कभी भी सत्ता में 32-38 % वोटों से अधिक लेकर नहीं आये हैं अर्थात भारत की 68-62% देश की जनता इन मक्कारों के विरोध में रही है।
2. जब भी सत्तासीन हुए देश और भारतवासियों के अहित, देश विरोधी ग़ैर क़ानूनी गति विधियां करते हुए आतंक और हिंसा के सहारे भारतीय नागरिकों का शोषण और भ्रष्टाचार द्वारा लूट से असुरक्षा और अन्याय करते चले आए हैं।
3.  सत्तासीन होने से पूर्व लोकतांत्रिक सीढ़ी से शीर्ष पदों पर आते ही जिस संविधान की सौगंध लेकर सत्तारूढ़ होते हैं उसी की जड़ें खोदना ओर सौगंध के एक एक शब्द का उलंघन करना इन की परम्परा रही है अर्थात देश विरोधी, भारतीय नागरिकों विरोधी आतंकी, हिंसा और अन्याय का सहारा लेकर अपने शासनकाल में कुछ भारतीयों को मूर्ख बना कर शेष विरोधियों पर दंड भेद की 

दमनकारी नीतियों से स्वयं अपने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे कर देश को तबाह करना इन का प्रमुख लक्ष्य रहा है।
ये और बहुत सी ऐसी ही इन की ग़ैर क़ानूनी ही नहीं देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त रहने वालों को चाहें वह राष्ट्र पति प्रधानमंत्री, गृहुमतरी या किसी भी अन्य उच्चतम पदों पर क़ब्जा करलें राष्ट्र भक्त या देशभक्तों को "देशद्रोही" के अतिरिक्त कोई अन्य पर्याय शब्दकोश में शब्द नहीं मिता ।

©Mohammed Shamoon

लॉजिक कहाँ है ? लॉजिक यहां है, आप समय लेकर ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे और समझेंगे तभी वहां तक पहुंच पाएंगे! मैं आर एस एस-राष्ट्र सर्वनाशी संघ और भाजपा सरकारों को 2014 नहीं 1992 से पहले से ही जानता और समझता हूं, इसलिए इन मक्कारों की सरकारों को केन्द्र से लेकर राज्यों तक कहीं पर भी विधिवत संवैधानिक नहीं स्वीकार सका हूं और न कभी इन धोखेबाजों के जाल में फंसाना पसन्द है, क्यों कि: 1. ये कभी भी सत्ता में 32-38 % वोटों से अधिक लेकर नहीं आये हैं अर्थात भारत की 68-62% देश की जनता इन मक्कारों के विरोध में रही है। 2. जब भी सत्तासीन हुए देश और भारतवासियों के अहित, देश विरोधी ग़ैर क़ानूनी गति विधियां करते हुए आतंक और हिंसा के सहारे भारतीय नागरिकों का शोषण और भ्रष्टाचार द्वारा लूट से असुरक्षा और अन्याय करते चले आए हैं। 3. सत्तासीन होने से पूर्व लोकतांत्रिक सीढ़ी से शीर्ष पदों पर आते ही जिस संविधान की सौगंध लेकर सत्तारूढ़ होते हैं उसी की जड़ें खोदना ओर सौगंध के एक एक शब्द का उलंघन करना इन की परम्परा रही है अर्थात देश विरोधी, भारतीय नागरिकों विरोधी आतंकी, हिंसा और अन्याय का सहारा लेकर अपने शासनकाल में कुछ भारतीयों को मूर्ख बना कर शेष विरोधियों पर दंड भेद की दमनकारी नीतियों से स्वयं अपने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे कर देश को तबाह करना इन का प्रमुख लक्ष्य रहा है। ये और बहुत सी ऐसी ही इन की ग़ैर क़ानूनी ही नहीं देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त रहने वालों को चाहें वह राष्ट्र पति प्रधानमंत्री, गृहुमतरी या किसी भी अन्य उच्चतम पदों पर क़ब्जा करलें राष्ट्र भक्त या देशभक्तों को "देशद्रोही" के अतिरिक्त कोई अन्य पर्याय शब्दकोश में शब्द नहीं मिता । ©Mohammed Shamoon

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