कमियाँ क्या भांपता है, ख़ूबियों पे ग़ौर कर, अदना है | हिंदी शायरी

"कमियाँ क्या भांपता है, ख़ूबियों पे ग़ौर कर, अदना है ग़म ये तेरा, ख़ुशियों का शोर कर। कह तो दिया ख़ुदा ने, मेहमां है तू जहाँ में, सदियां क्या नापता है, हर पल को दौर कर। रविकुमार ©Ravi Kumar Panchwal"

 कमियाँ क्या भांपता है, ख़ूबियों पे ग़ौर कर,
अदना है ग़म ये तेरा, ख़ुशियों का शोर कर।
कह तो दिया ख़ुदा ने, मेहमां है तू जहाँ में,
सदियां क्या नापता है, हर पल को दौर कर।
रविकुमार

©Ravi Kumar Panchwal

कमियाँ क्या भांपता है, ख़ूबियों पे ग़ौर कर, अदना है ग़म ये तेरा, ख़ुशियों का शोर कर। कह तो दिया ख़ुदा ने, मेहमां है तू जहाँ में, सदियां क्या नापता है, हर पल को दौर कर। रविकुमार ©Ravi Kumar Panchwal

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