Ravi Kumar Panchwal

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नही मिलता अब सुकूं  दुनिया और दुनियादारी में, पल पल जैसे जलता है मन की बेकरारी में, मैं क्या हूँ, क्यों हूँ ? समझ नहीं आता, बस भटकता फिरता हूँ ज़माने की बदहाली में. ऐ ख़ुदा अब तू राह दिखा  बेगुनाह बैठा हूँ तेरी कोतवाली में... रविकुमार ©Ravi Kumar Panchwal

#कविता #traintrack  नही मिलता अब सुकूं 

दुनिया और दुनियादारी में,

पल पल जैसे जलता है

मन की बेकरारी में,

मैं क्या हूँ, क्यों हूँ ? समझ नहीं आता,

बस भटकता फिरता हूँ ज़माने की बदहाली में.

ऐ ख़ुदा अब तू राह दिखा 

बेगुनाह बैठा हूँ तेरी कोतवाली में...

रविकुमार

©Ravi Kumar Panchwal

#traintrack

12 Love

जो दर्द सुकून देता था, वो दर्द भी गुज़र गया, जिसके भरोसे हम ज़िंदा थे, वो कमबख़्त आज मर गया। रविकुमार ©Ravi Kumar Panchwal

#लव #Light  जो दर्द सुकून देता था,
वो दर्द भी गुज़र गया,
जिसके भरोसे हम ज़िंदा थे,
वो कमबख़्त आज मर गया।
रविकुमार

©Ravi Kumar Panchwal

#Light

10 Love

#कविता

ये वक़्त भी ना, बड़ी जल्दी गुज़र जाता है।

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#शायरी #emotionalstory

#emotionalstory कला हर पर मेहरबां नहीं होती..

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ज़ख़्म ताज़े थे, तो दर्द भी मीठा था, ज़ख़्म जो निशां बने, तो दर्द निशां खो बैठा। भूक जब मासूम थी, तो हम सोने की चिड़िया थे, भूक जो गुमराह हुई, मैं नफ़रत के बीज बो बैठा। रविकुमार ©Ravi Kumar Panchwal

#शायरी #Currency  ज़ख़्म ताज़े थे, तो दर्द भी मीठा था,
ज़ख़्म जो निशां बने, तो दर्द निशां खो बैठा।
भूक जब मासूम थी, तो हम सोने की चिड़िया थे,
भूक जो गुमराह हुई, मैं नफ़रत के बीज बो बैठा।
रविकुमार

©Ravi Kumar Panchwal

#Currency

13 Love

कमियाँ क्या भांपता है, ख़ूबियों पे ग़ौर कर, अदना है ग़म ये तेरा, ख़ुशियों का शोर कर। कह तो दिया ख़ुदा ने, मेहमां है तू जहाँ में, सदियां क्या नापता है, हर पल को दौर कर। रविकुमार ©Ravi Kumar Panchwal

#शायरी #boat  कमियाँ क्या भांपता है, ख़ूबियों पे ग़ौर कर,
अदना है ग़म ये तेरा, ख़ुशियों का शोर कर।
कह तो दिया ख़ुदा ने, मेहमां है तू जहाँ में,
सदियां क्या नापता है, हर पल को दौर कर।
रविकुमार

©Ravi Kumar Panchwal

#boat

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