light
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#Light #SAD  चिराग जलते रहे,
हम ख्वाब बुनते रहे,

एक शख्स था,
जो खुली आंखों से कयामत
 दिखा गया..!!

©Poet Shawaaz

#Light

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#कविता #Light  ये जो कागजों पर आया हैं, सोचा भी न था जो पाया हैं, और इसी को पाने के लिए मैंने अपना रंग सांवला बनाया है, बालपन से ही परिश्रम किया है मैंने, तब जाकर आज खड़ी हो पाई हूँ, गर्मी की तपिश के बाद आज मेरे जीवन मे इन्द्रधनुषीय रंग चमचमाया है, ये जो काग़जों पर आया हैं सोचा भी न था जो पाया हैं। मुख में चांदी की चम्म्च नहीें थी मेरे, माँ ने बड़ी मुश्किल से निवाला खिलाया है,  इस फल पकवान के ढ़ेर को मैंने बड़ी मुश्किल से अब देख डाला है, यह जो कागज़ों पर आया हैं बड़ी मुश्किल से मैंने पाया हैं समान्य जीवन नहीं था मेरा, बड़ी कमियों में दौर गुजारा हैं, काँटों की डगर पर चल कर ही मेरी खुशियों का परचम लहराया हैं,  ये जो कागज़ों पर आया हैं बडी मुश्किल से मैंने पाया है ।

©Sarika Vahalia

#Light

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#विचार #Light  
प्रेम का दीपक जलता रहे, तमस नफरतों का मिटजाये।

©Uma Vaishnav

#Light

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"बुरा दौर" जो सोच रहे है,वो हो नही रहा है जो चाह रहे है,वो हो नही रहा है यही तेरे बुरे वक्त का दौर है,साखी खुद का साया ही शत्रु हो रहा है जब दोस्तों यह बुरे समय आता है बहुत कुछ हमको सीखा जाता है बुरा वक्त इतना भयानक होता है हमारा तन वस्त्र शत्रु हो जाता है जब तलक पैसा मेरे पास रहा है मुर्दे भी जीवित बन पास रहा है जैसे आया मेरी मुफलिसी का दौर बस अकेलापन मेरे पास रहा है यही है,दुनियादारी की किताब जब होता है,हमारा वक्त खराब आईने भी हमें घूरने लगते,जनाब जैसे हम हो कोई बदसूरत ख्वाब बुरे दौर में ईश्वर बहुत याद आता है रब के नाम से आदमी सुकूँ पाता है बुरे दौर मे जो रब से रिश्ता जोड़ता है यह बुरा दौर उसका क्या कर पाता है छोड़ दे साखी,व्यर्थ की दुनियादारी बुरे दौर में कोई न निभाता रिश्तेदारी छोड़,स्वार्थी मात-पितृ,भाई,भगिनी प्यारी काम नही आते बुरे वक्त में पुत्र अरु नारी गर सुख न टिका,दुःख न टिक पायेगा धैर्य रख तेरा भी एकदिन वक्त आयेगा चुप रह,कर्म कर,व्यर्थ न आंखे नम कर एकदिन तेरे हौंसलों से नभ झुक जायेगा जो भी बुरे दौर मे खुद से हंसकर लड़ा है बुरा दौर उसके पास कब तलक रहा है जो बुरे दौर के सामने चट्टान सा खड़ा है बुरा दौर उसके लिये,सुनहरा हो पड़ा है दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#कविता #Light  "बुरा दौर"
जो सोच रहे है,वो हो नही रहा है
जो चाह रहे है,वो हो नही रहा है
यही तेरे बुरे वक्त का दौर है,साखी
खुद का साया ही शत्रु हो रहा है

जब दोस्तों यह बुरे समय आता है
बहुत कुछ हमको सीखा जाता है
बुरा वक्त इतना भयानक होता है
हमारा तन वस्त्र शत्रु हो जाता है

जब तलक पैसा मेरे पास रहा है
मुर्दे भी जीवित बन पास रहा है
जैसे आया मेरी मुफलिसी का दौर
बस अकेलापन मेरे पास रहा है

यही है,दुनियादारी की किताब
जब होता है,हमारा वक्त खराब
आईने भी हमें घूरने लगते,जनाब
जैसे हम हो कोई बदसूरत ख्वाब

बुरे दौर में ईश्वर बहुत याद आता है
रब के नाम से आदमी सुकूँ पाता है
बुरे दौर मे जो रब से रिश्ता जोड़ता है
यह बुरा दौर उसका क्या कर पाता है

छोड़ दे साखी,व्यर्थ की दुनियादारी
बुरे दौर में कोई न निभाता रिश्तेदारी
छोड़,स्वार्थी मात-पितृ,भाई,भगिनी प्यारी
काम नही आते बुरे वक्त में पुत्र अरु नारी

गर सुख न टिका,दुःख न टिक पायेगा
धैर्य रख तेरा भी एकदिन वक्त आयेगा
चुप रह,कर्म कर,व्यर्थ न आंखे नम कर
एकदिन तेरे हौंसलों से नभ झुक जायेगा

जो भी बुरे दौर मे खुद से हंसकर लड़ा है
बुरा दौर उसके पास कब तलक रहा है
जो बुरे दौर के सामने चट्टान सा खड़ा है
बुरा दौर उसके लिये,सुनहरा हो पड़ा है
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#Light बुरा दौर

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#शायरी #Light  अगर दर्द के साथ दवा मिल जाएं तो ज़ख्म को क्या हैं💔

©Blåckmåil

#Light

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#Light              ਦੁਸ਼ਮਣ ਤਾਂ
               ਦੁਸ਼ਮਣੀ ਹੀ ਕਰੇਗਾ 
              ਉਹ ਤਾਂ ਤਹਿ ਹੈ 
                ਪਰ ਯਾਰ ਕੀ ਕਰੇਗਾ 
               ਸੋਚਣਾ ਤਾਂ ਇਹ ਹੈ

©Galoli

#Light

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